निवेश प्रबधंन का पेशा इन दिनों संकट की स्थिति में है। ज़्यादातर इक्विटी फंड मैनेजर लंबी अवधि में बाज़ार को मात देने में असमर्थ हैं। इसका नतीजा यह हुआ है कि सक्रिय फंडों से निष्क्रिय फंडों की ओर बड़े पैमाने पर फंड की निकासी हुई है। नए नज़रिये की तलाश में आख़िर निवेशकों को कहाँ जाना चाहिए?
पुलक प्रसाद, हमारे समक्ष धैर्यवान दीर्घकालिक निवेश का दर्शन प्रस्तुत करते हैं, जो अप्रत्याशित स्रोत विकासवादी जीव विज्ञान पर आधारित है। वह डार्विन की मूल अवधारणाओं से महत्त्वपूर्ण सबक़ लेते हैं। इसके बाद वह अच्छे और बुरे निवेश निर्णयों की सम्मोहक कहानियों के साथ प्राकृतिक दुनिया के ज्वलंत उदाहरणों का संयोजन करते हैं। इसमें उनका ख़ुद का निर्णय भी शामिल है। भौंरे अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए जो रणनीतियाँ अपनाते हैं, वे यह स्वीकार करने में हमारी मदद कैसे कर सकती हैं कि हम टेस्ला से चूक सकते हैं? पालतू लोमड़ियों के प्रजनन के एक प्रयोग से कामयाब बिज़नेस के लक्षणों के बारे में क्या पता चलता है? जब एक छोटा सा मेंढक अपने बड़े प्रतिद्वंद्वी की टर्र टर्र की नक़ल करता है, तो वह कॉर्पोरेट बेईमानी के संकेतों पर रोशनी क्यों डाल सकती है?
कामयाब विकासवादी रणनीतियों के ज्ञाता, प्रसाद ने दीर्घकालिक फ़ायदे के लिए सहज बोध के विपरीत सिद्धांतों की रूपरेखा तैयार की है। वह निवेश के तीन मंत्र देते हैं बड़े जोखिमों से बचें, वाजिब मूल्य पर उच्च गुणवत्ता की ख़रीद करें; और आलसी नहीं बनें, बल्कि बहुत आलसी बनें। प्रसाद एक ऐसी रणनीति के पक्ष में प्रेरक तर्क देते हैं, जो निवेश के विशाल अवसरों को ख़ारिज कर देती है।निवेश के बारे में मैंने डार्विन से क्या सीखा - पुलक प्रसाद
By:
Pulak Prasad Imprint: Sanage Publishing House Dimensions:
Height: 216mm,
Width: 140mm,
Spine: 20mm
Weight: 458g ISBN:9788119875047 ISBN 10: 8119875044 Pages: 360 Publication Date:20 February 2024 Audience:
General/trade
,
ELT Advanced
Format:Paperback Publisher's Status: Active